RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -14-Dec-2022

महफ़िल 

महफिलें हजारों सजती है 
आज‌ भी उनमें रोशनी की 
कमी नजर आती नहीं फिर 
भी मेरे दिल में बसे अंधेरे को 
जाने क्यों वो चीर पाती नहीं है। 
खोजते है जिस चेहरे को हर 
महफ़िल की चकाचौंध में
उसे ही रुसवा कर मुस्कराने
का बहाना खोज रहे है।
जाने क्यों सजती है ये‌ महफिलें
जीन में हर दिल में लगी चिंगारी
को आग बना रातों को रोशन
किया जाता है। 
       राखी सरोज 

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4 Comments

Sachin dev

14-Dec-2022 03:34 PM

Well done

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Renu

14-Dec-2022 10:30 AM

Nice 👌

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Abhinav ji

14-Dec-2022 08:11 AM

Very nice👍

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RAKHI Saroj

14-Dec-2022 09:08 AM

Thank you

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